गांजा की बिक्री धड़ल्ले से,महीनों गुजर गए कार्यवाही नहीं
कवर्धा: जिले में इन दिनों बड़ी मात्रा में अंतरराज्यीय गांजा तस्करों को पकड़ने में बड़ी सफ़लता प्राप्त हुआ है जो तारीफे काबिल है। लेकिन शराब तस्कर सहित कोचियों का भरमार तो है ही पर गांजा जैसे मादक पदार्थों का गली मोहल्ले में खुलेआम बिक्री इस कदर हावी है जैसे हाट बाजारों में हरी सब्जी की दूकान हों, हां गलत कार्य एक पर्दा के पीछे होता है पर पर्दा उठाने का हक और हिम्मत सिर्फ पुलीस प्रशासन को ही है पर प्रशासन की क्या मंशा है वो ही जाने।
हम बात करें नवीन युवा पीढ़ी की तो बताते चलें बड़े, बुजुर्गों के साथ साथ नाबालिक बच्चो का भी भिविष्य अंधकार की ओर बढ़ रहा गली मोहल्ले में गांजा बेधड़क 20 रुपए से लेकर जितने रुपए तक खरीदा जाए बड़ी ही आसानी के साथ मिल जाती है छोटे छोटे बच्चे यहां वहां से कबाड़ी अथवा छोटे छोटे चोरी करके अपनी नशा का पूर्ति करते हैं जिससे उनके आने वाले समय में जीवन यापन करना इन नादान बालकों का बड़ी ही विवशता के जीना होगा क्योंकि नजदीकी में नशा पदार्थ का सहजता से मिल जाना इनके लिए एक श्राप से कम नहीं जिसे सिर्फ तोड़ने के लिए ईश्वर की आवश्यकता है जो पुलिस प्रशासन के रूप कार्य कर सकता है पर अपनी कार्य के प्रति जागरूकता नजर नहीं आ रहा है।
कहीं कमीशन का खेल तो नहीं
महीनो गुजर गए अभि तक गांजा बेचने वालों के ऊपर कार्यवाही क्यों नहीं। क्या समाज गांजा जैसे मादक पदार्थों के सेवन से मुक्त हो चुका है, अगर नही तो कार्यवाही कैसे नही हुआ आखिर कौन है जिम्मेदार, कौन निभाएगा अपने कर्तव्यों का जिम्मेदारी समाज को सुधार कर नए और सुखमय जीवन यापन करने में सहायक होने वाली विभाग मौन क्यों?
पंडरिया के गोपीबंध पारा और नवीन बस स्टैंड के पास में बिकता है गांजा
बस स्टैंड से लेकर गली मोहल्ले में गांजा का कारोबार करने वाले महिलाएं ही है जो बेखौफ होकर अपनी धंधा संचालित करते हैं न जाने इन लोगों को किसका संरक्षण प्राप्त हुआ है जो मासूमों के जीवन के साथ साथ समाज को लूला लंगड़ा तथा मानसिक रोगी बना देने व्यापार का गोरख कार्य कर रहे हैं।
वहीं विशेष ध्यान देने वाली बात यह है कि वनांचल क्षेत्र में आंगन बाड़ी कार्यकर्त्ता के रूप में पदस्थ महिला अपने कार्यालयीन कार्य कोअधिकारियों के सह से छोड़ गांजा बेचने अपने निवास पर ही ज्यादातर रहती हैं जिससे यह स्पष्ट है कि कहीं कमीशन का खेल तो नहीं जिससे खाना ना सही आचार का व्यवस्था हो सके।