*छ ग शासन दिव्यांगों के लिए इतना असंवेदनशील क्यों - प्रदेश अध्यक्ष सरजू कोसले*
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हमर पूरे छत्तीसगढ़ अपार सम्भावना औऱ विकास का गढ़. धन धान्य वन सम्पदा खनिज औऱ संस्कृति से परिपूर्ण हमारा प्रदेश. जहाँ पर सभी वर्गों के लिए तरह तरह के *न्याय योजना* संचालित हैँ. हमारे राज्य बजट भी 1 लाख करोड़ को पार क़र गया हैँ. सभी वर्गों/समुदायो को सरकार कुछ ना कुछ दे रही हैँ. लेकिन एक ऐसा वंचित वर्ग हैँ जिसका ध्यान छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण से आज तक किसी ने नहीं दिया हैँ वो हैँ 6 लाख दिव्यांगजन. दिव्यांग वर्ग का उपेक्षा हमेशा से किया जाते रहा हैँ. दिव्यांग व्यक्ति सामाजिक आर्थिक राजनीतिक सभी क्षेत्र में उपेक्षित हैँ. वो सिर्फ वोट बैंक बनकर रह गया हैँ. दिव्यांगजनों को समाज से कई प्रकार के ताना मिलता हैँ फिर भी वह उसे सहते हुए आगे बढ़ता हैँ.सभी दुर्गम बधाओं को पार क़र उच्च शिक्षा हासिल भी क़र लेता हैँ तो समाज के *सकलांग वर्ग* फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवा क़र उनके नौकरी खा जाते हैँ. इस कार्य को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त हैँ जिसके कई शिकायत करने पर भी कोई कार्यवाही नहीं करते क्योंकि वो फर्जी दिव्यांग पैसा के दम पर अपना नौकरी बचा लेता हैँ. इससे लड़े तो कैसे सरकार तो खुद गूंगा बहरा औऱ लंगड़ा हैँ उसे ना दिखाई देता हैँ ना सुनाई देता हैँ बैसाखी से चलता हैँ. छ ग शासन में दिव्यांग लोगो के *10000* पदों पर फर्जी दिव्यांग काबिज हैँ. *छ ग दिव्यांग सेवा संघ* के कार्यों को देखकर एक उम्मीद जगा हैँ की आने वाला दिन दिव्यांगजनों के लिए उज्जवल होगा. समाज कल्याण विभाग तो अपने विभाग के अधिकारियो के कल्याण के लिए बना हैँ. दिव्यांगों को दिए जाने वाले सहायक उपकरण इतने घटिया किस्म के होते हैँ की 1 माह नहीं चलता हैँ. सभी अधिकारी भ्रष्टाचार में लिप्त हैँ. भ्रष्टाचार को बढ़ाने के लिए 1 रिटायर्ड IAS को पुनः नियुक्ति देकर सचिव सह आयुक्त बनाया गया हैँ. छ ग शासन को दिव्यांग हित में काम करके न्याय करना चाहिए. लेकिन सब उल्टा हो रहा हैँ दिव्यांग प्रमाण पत्र घोटाला, सहायक उपकरण घोटाला, NGO घोटाला, फर्जी बिल से भुगतान घोटाला इत्यादि. छ ग जैसे राज्य में दिव्यांगो को केवल 350 रूपये पेंशन दिया जाता हैँ *क्या हमारा राज्य इतना गरीब हैँ नहीं ये सिर्फ असंवेदनशीलता है.* दिव्यांगजनों का एक ही सहारा पेंशन होता हैँ. दिव्यांग पेंशन तेलंगाना में 4016 आंध्र में 3000 दिल्ली मे 2500 गोवा में 3500 हरयाणा में 1800 उत्तराखण्ड पंजाब हिमाचल में 1500 से अधिक हैँ छ ग का क्रम 25वे पायदान पर हैँ जबकि धन सम्पदा में 10वे से भी कम पायदान पर हैँ. छ ग के दिव्यांग अपने अधिकार के लिए सजग होते जा रहे हैँ वे लगातार फर्जी दिव्यांग शासकीय कर्मियों को बर्खास्त कराने, पेंशन 5000/माह, राजनीती में 7%आरक्षण औऱ NGO के भ्रष्टाचार को अंकुश लगाने की मांग क़र रहे हैँ. सरकार *ऋचा दुबे औऱ गुलाब सिंह राजपूत* जैसे कितना भी बहरा बनने का नाटक करले उसको जागना होगा दिव्यांगों को उनका अधिकार देना होगा क्योंकि दिव्यांग भी समाज के अभिन्न अंग हैँ.
*प्रदेश के मुखिया* से निवेदन हैँ की आप *दिव्यांगजन न्याय योजना* चलाकर प्रदेश के समस्त दिव्यांगों को 5000 रुपया पेंशन प्रतिमाह प्रदान करे, फर्जी दिव्यांग शासकीय कर्मियों को बर्खास्त करने नियम बनाकर सभी के दिव्यांगता का राज्य मेडिकल बोर्ड से जाँच करवाकर फर्जी को बर्खास्त करे.
अंत में इस मैसेज को पढ़ रहे महानुभाव से निवेदन हैँ की इस सन्देश को प्रदेश के मुखिया, शासन औऱ प्रशासन तक पहुंचाने का कष्ट करेंगे 🙏🙏🙏